अपनी जेब गर्म करने के चक्कर में ठंडा कर दिया एक घर का चूल्हा
गुरविन्दर मितवा
नहीं...यह लापरवाही तो हरगिज नहीं थी। इसे सिर्फ लालच कह देना भी गुनाह को कम करके आंकना होगा। पिछले दिनों हुई बरसात के कारण गांव भाटियां से पंजाब के रतनहेड़ी को जाने वाली सड़क के साथ लगती बर्म की मिट्टी कई जगहों से बह गई। घग्गर की बाढ़ से प्रभावित रहने वाले इस इलाके में सड़क आसपास की जमीनों से दस-पंद्रह फीट ऊंची है। जल्दी ही बर्म पर मिट्टी डालने के लिए सरकारी लोग भी आ गए। आस पास से ही मिट्टी खोद कर बर्म की लीपापोती भी शुरू हो गई। घग्गर बांध के साथ वाली पुलिया की मिट्टी कुछ ज्यादा ही बह गई थी इसलिए जिम्मेवार सरकारी लोगों ने इस गड्ढे को पहले पराली से भरा और फिर उसके ऊपर मिट्टी की परत सी डाल दी ताकि देखने में बर्म सही सलामत लगे।
महकमे के लोगों की यही कारस्तानी शुक्रवार को एक नौजवान की मौत का कारण बन गई। गांव मरदाहेड़ी के भठ्ठे से ईंटों भरी ट्रैक्टर ट्राली लेकर गांव भाटियां की तरफ आ रहे बलजीत सिंह ने जब सामने से आ रहे एक वाहन को साईड देने के लिए अपना ट्रैक्टर उक्त पुलिया की बर्म पर उतारा तो नीचे की पराली एक दम से खिसक गई। संतुलन खोकर पहले ट्रैक्टर पलटा और साथ ही ट्राली भी पलटा खाते हुए पुलिया के नीचे जा गिरी। बलजीत सिंह ट्रैक्टर के नीचे फंस गया। जब तक लोगों ने आकर उसे बाहर निकाला उसकी मौत हो चुकी थी।
गांव सिऊं माजरा के पंच गुरनाम सिंह हांडा सवाल उठाते हैं कि क्या इसे सिर्फ हादसा कहा जाएगा। हांडा ने कहा कि जहां मिट्टी डलनी चाहिए थी वहां थोड़े से लालच के कारण पराली डाली गई। वे कहते हैं कि बेशक चंद मु_ी मिट्टी बचाकर कुछ लोगों ने अपनी जेब गर्म कर ली होगी पर पर इस चक्कर में एक गरीब घर का चूल्हा ठंडा कर दिया है। वे कहते हैं कि अगर जिम्मेवार सरकारी लोग बर्म को सही ढंग से बनाते तो एक बेशकीमती जान बच सकती थी।
शायर कुंवर कसौरिया भी दोषी लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए कहते हैं कि सवाल सिर्फ लापरवाही का नहीं है। ना ही चंद रुपयों के लालच का है। यहां सवाल उस पूरी मानसिकता का है जिसके कारण हर साल पता नहीं कितने लोग तथाकथित हादसों में मौत का ग्रास बन जाते हैं। कसौरिया कहते हैं कि संबंधित अफसरशाही पर जिम्मेवारी डाले बिना ना तो यह लालच खतम हो सकते हैं तथा ना ही लालच के वश में आकर की गई लापरवाहियां।
एक गरीब परिवार का एक मात्र कमाने वाला चला गया। पांच और तीन साल के दो बच्चे अनाथ हो गए। एक औरत भरी जवानी में विधवा हो गई मगर अधिकारी हैं कि अपनी जिम्मेवारियों से पल्ला झाडऩे में जुट गए हैं। पीडब्ल्यूडी के एसडीओ से इस हादसे को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि यह सड़क मार्केटिंग बोर्ड की है। ठीक कराने की जिम्मेवारी भी उनकी ही बनती है। मार्केटिंग बोर्ड के जेई से बात हुई तो उन्होंने कहा कि ये सड़क बोर्ड के पास आ जरूर गई है लेकिन इसकी रिपेयर की जिम्मेवारी फिलहाल पीडब्ल्यूडी की ही बनती है। तो फिर कौन करवा रहा है सड़क की मरम्मत? इस सवाल के जवाब में दोनों ही अधिकारियों ने पता नहीं कहकर अपनी अनभिज्ञता जाहिर कर दी।



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