''...त्योंति मोदी अंतल ने तहा है''
--गुरविन्दर मितवा
चीका की हाऊसिंग बोर्ड कालोनी का मित्तल मास्टर जी की तरफ वाला छोटा सा पार्क। इतवार का दिन है और समय सुबह के लगभग साढ़े नौं का है। दस-बारह छोटे छोटे बच्चे पार्क की सफाई में लगे हैं। नन्हीं नन्हीं उंगलियां क्यारियों में गिरे पत्तों, पोलीथीन के लिफाफों व टाफियों वगैरह के रैपरों को बीनने में लगी हैं। छोटी छोटी मुट्ठियाँ कचरे को संभालती हैं और पार्क के एक कोने में बने छोटे से ढेर पर उलट देती हैं। दो छोटी बच्चियों के पास अपने कद से भी बड़े बड़े झाड़ू हैं। पार्क के घास के ऊपर पूरा जोर लगाकर झाड़ू फेरने की कोशिश कर रही हैं। क्या साफ हो रहा है शायद वे नहीं जानती। पास जाकर पूछा कि क्या कर रहे हो। बच्चों का सामूहिक स्वर निकला-पार्क की सफाई।
फिर पूछा कि वो तो ठीक है पर क्यों कर रहे हो?
त्योंति मोदी अंतल ने तहा है।-उनके लीडर से लग रहे एक बच्चे ने आगे बढ़कर जवाब दिया।
चौथी क्लास में पढऩे वाले इस बच्चे ने अपना नाम अभिषेत बताया।
मोदी कौन हैं पता है आपको?
हां जी अंतल पता है अपने प्राइम मिनीस्तर हैं। बातें सुनकर बाकी बच्चे भी काम छोड़कर अभिषेक के ही साथ आ खड़े हुए। तीसरी क्लास के अर्णव ने बताया कि स्कूल में उनकी मैम ने कहा था कि अपनी गली मुहल्ले में सफाई करनी है। दूसरी क्लास की दृष्टि ने बातचीत के बीच में कूदते हुए कहा कि हमारी टीचर ने भी यही बोला था पर साथ ही यह भी कहा था कि ग्रुप बनाके सफाई करनी है।
पांचवीं क्लास के अभिनव ने बताया कल भी और कुछ दिन पहले भी उनके स्कूल ने शहर में सफाई के लिए एक रैली निकाली थी। छाती फुलाकर अभिनव ने कहा कि मैं भी मास्क पहनकर इस रैली में गया था और चौंक के पास झाड़ू भी लगाया था। पांचवीं क्लास की इशा बोली-अंकल हम भी गए थे रैली में। मैम ने कहा है कि ना तो कहीं गंदगी फैलानी है और ना ही किसी को गंदगी फैलाने देनी है। तभी एलकेजी में पढऩे वाली आरना रोते रोते आई और बच्चों की टोली में खड़े अपने भाई अर्णव की बांह झिंझोडऩे लगी-भइया-भईया...युग मेरा झाड़ू नी दे रा। तकरीबन अढ़ाई फीट की आरना की तरफ देखकर पहले तो हंसी छूटी फिर उससे सवाल किया कि बेटा क्या करोगे झाड़ू का।
मैंने भी तो सफाई करनी है अंकल। हमारी मैम ने भी कहा था कि संडे को सफाई करनी है। तीसरी क्लास के रिदम और अरमान ने बताया कि उनकी टीचर ने कहा है कि केला खाओ तो छिलका डस्टबिन में डालना है। मूंगफली खाओ तो छिलके पहले एक लिफाफे में इकट्ठे कर लो फिर उसे ले जाकर डस्टबिन में डाल दो।
काफी देर सवालों का दौर चलता रहा तो बच्चों के नेता अभिषेत यानि अभिषेक को पता नहीं एकाएक क्या ख्याल आया और उसने पूछ लिया-अच्छा अंतल आप तो बता दो आप ये त्यों पूछ रे हो?
तुम्हारी अखबार में खबर छापूंगा।
इतना सुनते ही बच्चों ने ''हुर्रे'' का सम्वेत स्वर निकाला और फिर पार्क की सफाई में मशगूल हो गए।
--गुरविन्दर मितवा
चीका की हाऊसिंग बोर्ड कालोनी का मित्तल मास्टर जी की तरफ वाला छोटा सा पार्क। इतवार का दिन है और समय सुबह के लगभग साढ़े नौं का है। दस-बारह छोटे छोटे बच्चे पार्क की सफाई में लगे हैं। नन्हीं नन्हीं उंगलियां क्यारियों में गिरे पत्तों, पोलीथीन के लिफाफों व टाफियों वगैरह के रैपरों को बीनने में लगी हैं। छोटी छोटी मुट्ठियाँ कचरे को संभालती हैं और पार्क के एक कोने में बने छोटे से ढेर पर उलट देती हैं। दो छोटी बच्चियों के पास अपने कद से भी बड़े बड़े झाड़ू हैं। पार्क के घास के ऊपर पूरा जोर लगाकर झाड़ू फेरने की कोशिश कर रही हैं। क्या साफ हो रहा है शायद वे नहीं जानती। पास जाकर पूछा कि क्या कर रहे हो। बच्चों का सामूहिक स्वर निकला-पार्क की सफाई।
फिर पूछा कि वो तो ठीक है पर क्यों कर रहे हो?
त्योंति मोदी अंतल ने तहा है।-उनके लीडर से लग रहे एक बच्चे ने आगे बढ़कर जवाब दिया।
चौथी क्लास में पढऩे वाले इस बच्चे ने अपना नाम अभिषेत बताया।
मोदी कौन हैं पता है आपको?
हां जी अंतल पता है अपने प्राइम मिनीस्तर हैं। बातें सुनकर बाकी बच्चे भी काम छोड़कर अभिषेक के ही साथ आ खड़े हुए। तीसरी क्लास के अर्णव ने बताया कि स्कूल में उनकी मैम ने कहा था कि अपनी गली मुहल्ले में सफाई करनी है। दूसरी क्लास की दृष्टि ने बातचीत के बीच में कूदते हुए कहा कि हमारी टीचर ने भी यही बोला था पर साथ ही यह भी कहा था कि ग्रुप बनाके सफाई करनी है।
पांचवीं क्लास के अभिनव ने बताया कल भी और कुछ दिन पहले भी उनके स्कूल ने शहर में सफाई के लिए एक रैली निकाली थी। छाती फुलाकर अभिनव ने कहा कि मैं भी मास्क पहनकर इस रैली में गया था और चौंक के पास झाड़ू भी लगाया था। पांचवीं क्लास की इशा बोली-अंकल हम भी गए थे रैली में। मैम ने कहा है कि ना तो कहीं गंदगी फैलानी है और ना ही किसी को गंदगी फैलाने देनी है। तभी एलकेजी में पढऩे वाली आरना रोते रोते आई और बच्चों की टोली में खड़े अपने भाई अर्णव की बांह झिंझोडऩे लगी-भइया-भईया...युग मेरा झाड़ू नी दे रा। तकरीबन अढ़ाई फीट की आरना की तरफ देखकर पहले तो हंसी छूटी फिर उससे सवाल किया कि बेटा क्या करोगे झाड़ू का।
मैंने भी तो सफाई करनी है अंकल। हमारी मैम ने भी कहा था कि संडे को सफाई करनी है। तीसरी क्लास के रिदम और अरमान ने बताया कि उनकी टीचर ने कहा है कि केला खाओ तो छिलका डस्टबिन में डालना है। मूंगफली खाओ तो छिलके पहले एक लिफाफे में इकट्ठे कर लो फिर उसे ले जाकर डस्टबिन में डाल दो।
काफी देर सवालों का दौर चलता रहा तो बच्चों के नेता अभिषेत यानि अभिषेक को पता नहीं एकाएक क्या ख्याल आया और उसने पूछ लिया-अच्छा अंतल आप तो बता दो आप ये त्यों पूछ रे हो?
तुम्हारी अखबार में खबर छापूंगा।
इतना सुनते ही बच्चों ने ''हुर्रे'' का सम्वेत स्वर निकाला और फिर पार्क की सफाई में मशगूल हो गए।





बहुत खूब मितवा जी पडकर अच्छा लगा
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